छोटे-छोटे, सूखे
हुए गोबर के लेप घर की हर दीवार पर चिपकाए गए है। काफी समय से मेरे मन मे विचार था, इस
गुत्थी को सुलझाने का।
फिर एक दिन, एक
घमासान छिड़ गया, मेरे माता पिता के बींच मे। मेरे पिताजी के पास एक
कीमती अंगूठी थी, जो गुस्से मे उन्होने तोड़ दी। उधर मेरी माँ,
उम्मीदहीन होकर अपना माथा हर दीवार पर फोड़ने की कोशिश कर रही थी। बस सफलता नहीं
मिल रही थी।
यह बात थोड़ी विचित्र सी लगी।
फ़िलमों मे देखा, टीवी मे देखा, जैसे ही सर दीवार से टकराता है, खून के
छीटे दीवार पर बकाए रेह जाते है।
फ़िर ध्यान मे आया। मेरी माँ
जब भी किसी दीवार पर अपना सर मार्टी, तो बस एक बार। फ़िर किसी नयी दीवार की तलाश
होती। मेरी नज़रे अचानक से चौक उठी जब मैंने देखा दीवार पर अलग अलग जागो पर स्वस्तिक
के निशान मौजूद हो रहे थे।
स्वस्तिक ज्ञान का चिन्ह
माना जाता है। शाद माँ इसलिए हताश है क्यूंकी उनही और ज्ञान चाहिए हो। गोबर के लेप
पर सर मार्कर लेप टूट गया। साथ ही साथ, एक रहस्य का समाधान भी प्राप्त हो गया।
स्वस्तिक का सच्चा असर था, की थोड़ी
देर मे मेरे माता पिता के बीच मे सुलह हो गयी।
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