Tuesday, April 16, 2019

चोंटी


हेरा को उसका चाचा बेगम जान के पास छोड़ गया।
चाचा अपने लड़के के साथ आया था। बेगम जान ने दस्तावेज़ टेयर किए। दस्तावेज़ हिन्दी मे लिखी गयी थी, जबकि चाचा फ़ारसी रस्म-उल-ख़त ही जानता था। इस ही वजह से वोह अपने लड़के को लाया। बड़ा समझदार था छोरा। लड़के ने दस्तावेज़ के लव्ज़ अपने अब्बू के कान मे ज़ोर से बोले। चाचा खुश हुआ, और हाथ जोड़कर अपने रास्ते चलने लगा। घोड़े पर सवार आए थे। घोड़े के पीछे लड़का लपक गया। आखिर अपनी बहन से मिलने की कोशिश की, लेकिन हिम्मत न हुई, सो मुह फेर लिया। वोह अब भी इन चीज़ों से पूरी तरह वाक़िफ़ नहीं है। घर वालो ने कहा- सब ऊपर वाले की मर्ज़ी है।
बेगम जान की नजरे शुरू से हेरा के हिजाब पर गड़ी हुई थी। पहले तो उसने प्यार से हेरा को जहा हिजाब को फेकने को, और अपने केश दिखने को। हेरा ने जवाब मे इसे गुनाह बताया। लेकिन बेगम जान को क्या, वह अगर खुद गुनहगार है, तो दूसरों को भी गुनहगार बनाना जानती है।
दो औरतों ने हेरा का हाथ पकड़ा, और बेगम जान ने झटके से हिजाब निकाला। हेरा रो रो कर रहम की गुहार मांगती रही, लेकिन बेगम जान के कान पर उसकी खुद की मक्कारी मोम की तरह जमा थी। मगर हेरा यह नहीं जानती थी के बेगम जान का दूसरा हाथ उसके पहले वाले से भी तेज़ चलता है। इस ही वाहज से अपने समय की खूंखार तवायफ थी।
इससे पहले की हेरा कुछ और कहती समझ पाती, बेगम जान का खंजर हेरा के चोटी के आर पार चला गया। हेरा सुन्न सी थम गयी।
बेगम जान ने हेरा को उसकी चोटी पकड़ाई, और फ़िर हज्जाम को हेरा को टाकला करने को बोला।

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